हमारे शहर के पर्यटन स्थलों एवं झरनों को साफ़ रखने के लिए हम क्या कर रहे हैं ?

न जाने कितना वक्त गुज़र गया…

कभी बारिश की उन बूँदों में तो कभी तेज़ चिलचिलाती धूप में रहा वो…

लोग उसे देखकर खुश होते होंगे हर दफा और उसने उन हज़ारों लोगों के मुसकराते चेहरे में अपनी खुशी ढुँढ ली…

कितनी ही तकलीफें, कितनी ही मुसीबतों का सामना किया होगा …

उसके इतने पास जाकर भी लोगों ने कभी उसकी ओर गौर से नहीं देखा…

मगर इन सबके बावजूद उस “झरने” को सालों पहले की तरह आज भी बहते देखा है मैने…

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झरनों का शहर : रांची

दशम, जोन्हा, हुन्डरू, इत्यादि, कितनी ही दफा देख चुके होंगे आप उन सभी झरनों को पर अगर महसूस किया होगा तो आज आप यहाँ लिखी एक एक बात को समझ पाएंगे। आपको नहीं लगता जब कभी उन झरनों में कल कल बहते पानी की आवाज़ आपके कानों तक पहुंचती है तो मन मग्न सा हो जाता है और दिमाग अपनी सारी परेशानियों को भुलने पर मजबूर हो जाता है और आँखें बन्द करके उन आवाज़ों को सुनो तो लगता है मानो वो सुन्दर दृश्य आप अपनी बंद आँखों से भी देख पा रहे हो।

प्रकृति का एक अनमोल उपहार है ये, पर्यटन का एक मुख्य स्थल बन जाने के कारण दिन भर भिन्न भिन्न लोगों से रु-ब-रु होता है और साथ ही कुछ पलों के लिए ही सही पर उन सबकी मुस्कुराहटों का कारण भी बन जाता है।जब झरने का बहता पानी आस पास के पौधों को छूकर गुज़रता है तो लगता है मानो खुशी से हरियाली बिखर जाती है चारों ओर, छोटे बड़े ना जाने कितने जीवों को खुद मे या खुद के आस पास बस जाने देता है ।अगर देखा जाए तो सुबह की पहली किरण से चाँद की चाँदनी तक अपने आस पास हर किसी के मुस्कुराने की वजह बना रहता है जैसे ये उसकी ज़िम्मेदारी हो ।

“ज़िम्मेदारी”..!! काफी बार सुना होगा ये शब्द आप सबने अपने अब तक के जीवन में और अलग अलग काफी सारी ज़िम्मेदारियाँ निभा भी रहे होंगे,  पर क्या आपको नहीं लगता जो सबके चहरे पर खुशियाँ बनाए रखना अपनी ज़िम्मेदारी समझता है उसकी तरफ आपकी भी कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं? वो झरना ठीक उस बूढ़े बाप की तरह है जो आपकी ज़िंदगी खुशियों से भर देना चाहता है बदले में आपसे बिना किसी चीज़ कि उम्मीद के ।

अब सवाल यह है कि आपने कभी महसूस किया या नहीं उसकी तरफ अपनी ज़िम्मेदारियों को? माना रांची झरनों का शहर है, यहाँ झरनों कि कमी नहीं है एक झरना या उसके आस पास गंदगी हो गई तो लोग दूसरे झरने की तरफ चल पडेंगे क्योंकि मतलब तो बस झरने का आनंद लेने से है, अब वह कोई सा भी हो क्या फर्क पड़ता है?

क्या कभी आपने सोचा है कि अगर हम सभी अपनी इसी सोच पर कायम रहें तो इसका अंजाम क्या हो सकता है? ऐसे तो एक एक करके सारे झरने प्रदूशित हो जाएँगे और उसके बाद उसके आस पास का वातावरण और फिर शायद आने वाली पीढ़ी रांची के झरनों को ,उनकी खूबसूरती को बस तस्वीरों में ही देख पाएँगी ।

झरने या उसके आसपास की सफाई करना या करवाना एक अलग पड़ाव है जो हर कोई नहीं कर सकता पर उस सफाई को बनाए रखना तो हर किसी के बस में है और जब हमारी तरफ से गंदगी होगी ही नहीं तो साफ करने या करवाने की बात ही आएगी।

जब हम सबमें इतनी समझ होगी की अपने शहर की सुन्दरता को बनाए रखना है तो शहर की खूबसूरती में खुद ही चार चाँद लग जाएँगें। हम सबका यह छोटा और आसान सा प्रयास वाकई एक बड़ा बदलाव ला सकता है।