रक्षाबंधन 2018 : संजोयी हुई यादों का एक प्रेम भरा चित्रण !!

Happy Rakshabandhan !!

याद है..?? वो रेत के घर बनाना,

पानी में अपनी कागज़ की नाव दौड़ाना,

वहीं धूप में घर के आंगन में दौड़ लगाना,

तुम्हारा वो मुझे क्रिकेट सिखाना,

और मेरा शतरंज में तुमसे हर बार हार जाना,

लड़ते- झगडते हँसते- मुसकराते तुम्हारे साथ सारा बचपन बीत गया |

वो रेत के घर, कागज़ की नाव,

घर का आंगन,

सब वैसा ही है आज भी, बिल्कुल पहले जैसा,

बस हम बड़े हो गए शायद |

याद है..??

वो रक्षाबंधन के दिन मेरा तुम्हें सुबह- सुबह जगाना,

तुम्हारे लिए वो पुजा की थाल सजाना,

जानबूझकर तुम्हारे माथे पर लंबा सा तिलक लगाना,

वो बड़ा सा रसगुल्ला ज़बरदस्ती तुम्हें एक बार में खिलाना,

और फिर तुम्हारी कलाइ पर अपनी पसंद की राखी पहनना….

वो रक्षाबंधन का दिन, पुजा की थाल,

वो तिलक, सब वैसा ही है आज भी…..

बिल्कुल पहले जैसा,

बस हम दूर हैं शायद….

पर यकीन मानना..!! प्यार आज भी उतना ही है बस ज़ाहिर करने का वक्त नहीं मिलता शायद |

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कुछ रिश्ते ज़िन्दगी में ऐसे भी होते हैं जिनमें एक दुसरे के प्रति स्नेह व्यक्त करने के लिए किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती, भाई-बहन का रिश्ता इस बात का सबसे सही उदाहरण है | बहुत खुबसूरत होता है बचपन जहाँ एक दूसरे से दूर होने की कोई फिक्र नहीं होती, हँसते- मुसकराते वक्त गुज़र जाता है और हम सब बड़े हो जाते हैं फिर जब तक खुद को कुछ समझा पाते तब तक तो हम एक दुसरे से दूर अलग- अलग शहरों में होते हैं | ज़िदगी जीने का शायद यह एक तरीका सा बन गया है, अब तो राखी भी चिट्ठों की तरह एक लंबा सफर तय करती हैं | पर ये भी यादगार ही रहेगा क्योंकि इसमें भी है तो भाई- बहन का प्यार ही |

“माना आज रक्षाबंधन है और हम साथ नहीं हैं पर मेरा ढेर सारा प्यार है ना ….. हमेशा..!!
और हाँ बाकी सब तो ठीक है पर राखी मिलते ही मेरा गिफ्ट भिजवाना भुलना मत समझे…”